Core Web Vital kya hai in Hindi (Complete Information)

नमस्कार दोस्तों , आपका Indoblogging पर स्वागत है। आज हम सीखेंगे Core Web Vital kya hai in Hindi.

दोस्तों , जब से गूगल ने अपने New अपडेट की Announcement की है तभी से लोगो के बीच में Core web Vital की term चर्चा का विषय बनी हुई है।

गूगल के new Update को Page Experience कहाँ जहाँ रहा है , जिसमे में Core web Vital बहुत ही ज्यादा important Role play करने वाला है।

Website की speed और Url की गुणवत्ता दोनों को Core web vital के माध्यम से ही मापा जाता है।

Google Search Console में Core web Vital एक Feature के रूप में Present है।

आप इस Feature में अपने mobile और desktop के खराब Url और सही url को देख सकते है।

Mobile और desktop दोनों के लिए अलग अलग column दिए गए है।

अगर आपके यूआरएल वेब वाइटल को Follow नहीं करते है तो वह यहाँ पर error के रूप में दिखाई देंगे और किस reason की वजह से error आ रहा है वह भी यहाँ पर show होगा।

दोस्तों , Page Experience के Update के बाद Web Vital को monitor करना और उसको error Free रखना बहुत ज्यादा जरूरी हो जायगा।

क्योकि अगर वेब वाइटल में एरर रहता है तो आपकी वेबसाइट की Ranking बहुत जल्दी down हो जायगी।

चलिए अब हम वेब कोर वाइटल के बारे में details में समझते है।

Core web vitals kya hai –

दोस्तों, core web vital Page Experience Update का एक parameter है जिसमे 3 Terms आती है।

यह 3 term मिल कर web core vital का निर्माण करती है।  Core web vital मुख्य रूप से LCP , FID और CLS से मिलकर बना हुआ है।

यह तीनो factor मिलकर core web vital को बनाते है।

अगर आप अपनी वेबसाइट को गूगल में Top Position में रखना चाहते है तो आपको इन तीनो factor को maintain करके रखना होगा।

तभी आप अपनी वेबसाइट की रैंकिंग को बना कर रख सकते है नहीं तो आपकी वेबसाइट की रैंकिंग बहुत तेजी से डाउन हो जायगी।

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Core Web Vitals Important क्यों है?

दोस्तों, Core Web Vitals के Factor आपकी website की Ranking को Direct प्रभावित करते है।

अगर आपके Vitals खराब होँगे तो आपकी website की Speed खराब हो जायगी।

Google के नए Update के अनुसार आपकी वेबसाइट की स्पीड अच्छी होनी चाहिए।

अगर आपकी वेबसाइट की स्पीड खराब होगी तो आप कभी भी गूगल के ऊपर Rank नहीं कर सकते है।

इसी वजह से Core web Vitals महत्वपूर्ण हो जाते और आपको इनको Improve करने पर फोकस करना चाहिए।

Parameter of Core Web Vitals –

core web vitals के तीन parameter है। LCP , FID और Cls. चलिए अब हम इनको ध्यान से समझते है।

1 ) LCP –

LCP को हम largest Contentful Paint के नाम से भी जानते है। यह actually में आपकी website के above the Fold area में largest element कितनी समय में visual हो रहा है उसको दर्शाता है।

साधरण शब्दो में कहा जाए तो website के लिंक पर क्लिक करने के बाद viewport में largest element कितने समय में appear होता है वह LCP कह लाता है।

गूगल के अनुसार अगर आपकी वेबसाइट का LCP Score less than 2.5 seconds है तो Good है।

2.5 to 4.5 seconds है तो आपको improvement करने की जरूरत है और 4.5 seconds तो आपकी website Poor है।

2) FID –

FID की फुल फॉर्म है First Input Delay. यह वह समय होता है जब user आपकी website से First Interact करता है।

साधरण शब्दो में , user जब आपकी website के लिंक पर क्लिक करता है तो उसको आपकी वेबसाइट का पहला element कितने समय में visual होता है वह FID कहलाता है।

Google के अनुसार अगर आपकी वेबसाइट का FID less than 100 ms है तो वह Good की श्रेणी में आता है।

अगर 100 से 300 ms के बीच में है तो आपको improvement करने की जरूरत है और अगर 300 ms से ज्यादा है तो आपका FID poor category में आता है।

3) CLS –

CLS की Full-Form है Cumulative Layout shift. इसका मतलब होता है जब कोई आपकी वेबसाइट पर क्लिक करता है तो आपकी website के layout में कितना shift होता है।

गूगल के अनुसार अगर आपकी वेबसाइट का layout 0.1 शिफ्ट होता है तो यह good में आता है।

0.1 से 0.25 आपको improvement करने की जरूरत है और more than 0.25 आपका url poor है।

Google Search Console me Webcore Vital ka use kaise kare –

दोस्तों, अब में आपको बताऊंगा की आप GSC में core web Vital report कैसे निकाल जाता है।

सबसे पहले आपको अपने गूगल सर्च कंसोल में लॉगिन कर लेना है। आप गूगल सर्च के Homepage पर आ जायँगे।

यहाँ पर आपको left side में core web vital का ऑप्शन दिखाई देगा , इस पर क्लिक करके आप कोर वेब वाइटल की report निकाल सकते है।

दूसरे तरिके में आपको Page experience का ऑप्शन दिखाई दे रहा होगा। आपको इस पर क्लिक करना है।

यहाँ पर आपको core web vital का ऑप्शन दिखाई देगा। आप यहाँ से अपनी कोर वेब की रिपोर्ट निकाल सकते है।

आपकी वेबसाइट पर जितने भी url core web vital issue से पीड़ित होँगे उनकी लिस्ट यहाँ पर दिख जायगी।

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Core web vital issue fix kaise kare –

दोस्तों , सबसे पहले आपको यह reason समझना होगा की यह issue आ किस वजह से रहा है।

इसके लिए आप गूगल सर्च में जाकर कोर वेब रिपोर्ट को चेक करे और reason को समझने की कोशिश करे।

मुख्यरूप से reason LCP , FID और Cls की वजह से ही आता है।

इन सभी को improve करने के लिए आपको कुछ parameter को full fill करना होगा।

जैसे आपको अपनी image अच्छे से optimise करनी होगी , Image next Generation में serve करे।

Render Blocking Resources को remove करने की कोशिश करे।

जावास्क्रिप्ट और CSS को minify करे।

Unused JavaScript को remove करे और सही Font का इस्तेमाल करे।

यह सब करने के बाद आपको गूगल सर्च में आना है और validate Fix पर जाकर validate पर क्लिक कर देना है।

कुछ दिनों में आपका यह issue solve हो जायगा।

Google Search Algorithm क्या है?

दोस्तों ,Google विश्व का सबसे बड़ा सर्च Engine है। Google अपनी Algorithm के माध्यम से User की query को समझने की कोशिश करता है।

ताकि वह User के सामने Better Result ला सके।

इसलिए Google Regular अपने Algorithm को Update करता रहता है ताकि वह user को Better Result Show कर सके।

गूगल रेगुलर अपनी Algorithm में बदलाव करता रहता है और हमेशा Try करता है की user को उसकी Query के अनुसार ही Result Show कर सके।

Final words on Core Web Vital kya hai in Hindi –

दोस्तों , उम्मीद है आपको आज  की पोस्ट Core Web Vital kya hai in Hindi पसंद आयी होगी।

आज मैंने आपको core web vital के सभी factor और इसके solution पर बारीकी से प्रकाश डाला है।

दोस्तों, mid-june 2021 से गूगल का new update Page experience Roll out हो जायगा।

इसलिए हमारे पास कुछ समय है जिसमे हम अपनी वेबसाइट को इस अपडेट से पहले ऑप्टिमाइज़ कर सकते है।

नहीं तो यह अपडेट हमारी वेबसाइट की रैंकिंग पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।

उम्मीद है आपको आज कुछ नया सीखने को मिला होगा।

Core Web Vitals से जुड़े सवाल और जवाब –

Q1)- How to audit Core Web Vitals

Ans – दोस्तों, core web vitals को Audit करने के लिए आप page speed insight का उपयोग कर सकते है।

यहाँ से आपको किस factor में improvement करनी है उसकी जानकरी मिल जायगी।

Q2)- What is CLS in core Web vitals?

Ans – Core web vital में CLS का अर्थ है Cumulative layout Shift. यह आपकी वेबसाइट की layout में कितना शिफ्ट हो रहा है उसको दर्शाता है।

Q3) – What are Web core vitals?

Ans – core web vital, पेज experience का एक महत्वपूर्ण फैक्टर है जिसके अंदर LCP , FID और Cls आते है।

Q4) क्या Core Web Vitals से वेबसाइट के ट्रैफिक पर प्रभाव पड़ता है ?

Ans – दोस्तों , अगर आपकी वेबसाइट का Core web vitals खराब होँगे तो आपकी वेबसाइट की रैंकिंग down हो जायगी और आपका ट्रैफिक कम होने लग जायगा।

Q5) क्या Core web Vitals से वेबसाइट की रैंकिंग प्रभावित होती है ?

Ans – हाँ , Core Web Vitals खराब होने से आपकी वेबसाइट की रैंकिंग गूगल में गिरने लगती है।

Q6) वेबसाइट की स्पीड कैसे बढ़ाए ?

Ans – दोस्तों , आप लाइट वेट थीम का उपयोग करके वेबसाइट की स्पीड को बढ़ा सकते है।

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